उत्तरी गोलार्ध में स्थित 23½° उत्तरी अक्षांश रेखा को कर्क रेखा (Kark Rekha) कहा जाता है। यह उत्तरी गोलार्ध में सबसे उत्तरी अक्षांशीय रेखा है, जिस पर सूर्य की किरणें सीधी (लंबवत) पड़ती हैं।
21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लंबवत चमकता है। इस दिन उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन और सबसे छोटी रात होती है। सूर्य की किरणें सीधे पड़ने के कारण इस दिन अत्यधिक गर्मी महसूस की जाती है। इस खगोलीय घटना को ‘ग्रीष्म अयनांत’ (Summer Solstice) कहा जाता है, जिसे ‘जून क्रांति’ के नाम से भी जाना जाता है।
कर्क रेखा को यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि ‘जून क्रांति’ के समय सूर्य कर्क राशि (Cancer Zodiac) में स्थित होता है।
जब सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लंबवत पड़ती हैं, तो इस रेखा पर स्थित स्थानों पर परछाईं लगभग नहीं बनती या बहुत छोटी होती है। इस कारण इन क्षेत्रों को अंग्रेज़ी में ‘No Shadow Zone’ यानी ‘परछाईं रहित क्षेत्र’ कहा जाता है।
कर्क रेखा का भौगोलिक महत्व
कर्क रेखा पृथ्वी के जलवायु क्षेत्रों को विभाजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्र और समशीतोष्ण क्षेत्र की सीमा को दर्शाती है। इस रेखा के आसपास का क्षेत्र अत्यधिक गर्म रहता है और यहां वर्षभर सूर्य की रोशनी तीव्र होती है।
कर्क रेखा का मार्ग भारत में
भारत में कर्क रेखा 8 राज्यों से होकर गुजरती है|जो निम्नलिखित हैं |-

भारत में कर्क रेखा 8 राज्यों से होकर गुजरती है|
- मिजोरम – (चंफाई, आइजोल)
- त्रिपुरा – (अगरतला, धलाई)
- पश्चिम बंगाल – (कृष्णानगर, कूचबिहार)
- राजस्थान – (उदयपुर, कोटा)
- गुजरात – (अहमदाबाद, सूरत)
- मध्य प्रदेश – (उज्जैन, इंदौर)
- छत्तीसगढ़ – (अंबिकापुर, बिलासपुर)
- झारखंड – (रांची, बोकारो)