बिहार डीएलएड (D.El.Ed) 2025 IMPORTENT Q.FOR BIHAR DELED

बिहार का सबसे बड़ा पशु मेला

सोनपुर मेला
विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला, जिसे “हरिहर क्षेत्र मेला” भी कहा जाता है, एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के समय आयोजित किया जाता है और इसकी परंपरा महाभारत काल से जुड़ी है। यहां हाथियों, घोड़ों और अन्य पशुओं का व्यापार होता है, जो इसे विशिष्ट बनाता है।

महात्मा बुद्ध का जन्म कहां हुआ था

गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व कपिलवस्तु के लुंबिनी नामक स्थान पर हुआ था

नीलकमल में कौन सा समास है ?

कर्मधारय समास ”

इसमें दोनों पदों का अर्थ एक ही वस्तु या व्यक्ति को बताते हैं, और विशेषण-विशेष्य का संबंध होता है।
उदाहरण:-

नीलकमल (नीला कमल)

समास के कितने भेद होते हैं

समास के भेद मुख्य रूप से छह प्रकार के माने जाते हैं। इनमें से चार मुख्य भेद और दो उपभेद होते हैं। यहां समास के सभी भेदों का विवरण दिया गया है:

  1. तत्पुरुष समास

इस समास में पहला पद (शब्द) दूसरे पद का विशेषण या कारक होता है। इसमें कारक चिह्न लुप्त हो जाते हैं।

उपभेद:

  • षष्ठी तत्पुरुष – जैसे, रामायण (राम का अयन)
  • द्वितीया तत्पुरुष – जैसे, गंगा-स्नान (गंगा में स्नान)
  • सप्तमी तत्पुरुष – जैसे, नगर-स्थित (नगर में स्थित)
  1. कर्मधारय समास

इसमें विशेषण और विशेष्य का संबंध होता है।

उदाहरण:

  • नीलकमल (नीला कमल)
  • सुंदरवन (सुंदर वन)
  1. द्वंद्व समास

इसमें दोनों पद समान महत्व रखते हैं और “और” का अर्थ प्रकट होता है।

उदाहरण:

  • माता-पिता (माता और पिता)
  • राधा-कृष्ण (राधा और कृष्ण)
  1. बहुव्रीहि समास

इसमें दोनों पद मिलकर किसी तीसरे व्यक्ति या वस्तु का बोध कराते हैं।

उदाहरण:

  • चतुर्भुज (जिसके चार भुजाएं हैं)
  • दशानन (जिसके दस मुख हैं)
  1. अव्ययीभाव समास

इसमें पहला पद अव्यय होता है और दूसरा पद उसके अर्थ को स्पष्ट करता है।

उदाहरण:

  • यथासमय (समय के अनुसार)
  • उपदेश (देस के पास)
  1. दिगु समास

इसमें पहला पद संख्या या दिशा को व्यक्त करता है।

उदाहरण:

  • त्रिलोक (तीन लोक)
  • पंचवटी (पांच वट वृक्ष)

निष्कर्ष

समास के ये छह भेद हिंदी व्याकरण की गहराई और वाक्य को प्रभावशाली बनाने का माध्यम हैं। हर भेद का अपना विशिष्ट उपयोग है, जो भाषा को सरल और संक्षिप्त बनाने में मदद करता है।

यूरेनियम का उपयोग कहां होता है

यूरेनियम उपयोग और सुरक्षा उपाय

  • सुरक्षा मानक: यूरेनियम के खनन और उपयोग के लिए कड़े सुरक्षा मानक लागू होते हैं।
  • सुरक्षा उपकरण: खनिकों और श्रमिकों के लिए विशेष उपकरण उपलब्ध होते हैं।
  • रेडियोधर्मी कचरे का प्रबंधन: इसे सुरक्षित तरीके से संग्रहित और निष्पादित किया जाता है।

बेकिंग सोडा का रासायनिक सूत्र

इसका रासायनिक सूत्र (NaHCO₃) है।

बेकिंग सोडा, जिसे आमतौर पर किचन और बेकिंग में उपयोग किया जाता है, का रासायनिक नाम सोडियम बाइकार्बोनेट है। इसका रासायनिक सूत्र NaHCO₃ है। यह एक सफेद, क्रिस्टलीय पाउडर है जो क्षारीय प्रकृति का होता है। बेकिंग सोडा का उपयोग केवल खाना पकाने में ही नहीं, बल्कि सफाई, स्वास्थ्य, और व्यक्तिगत देखभाल में भी किया जाता है।

बेकिंग सोडा का रासायनिक सूत्र: (NaHCO₃)

सोडियम बाइकार्बोनेट में चार मुख्य तत्व होते हैं:

  • सोडियम (Na): यह क्षारीय प्रकृति प्रदान करता है।
  • हाइड्रोजन (H): यह अणु की स्थिरता में मदद करता है।
  • कार्बन (C): बाइकार्बोनेट का मुख्य घटक।
  • ऑक्सीजन (O): यह अणु के बंधन को मजबूत बनाता है।
  • इसका रासायनिक सूत्र NaHCO₃ इसे एक बहुउपयोगी यौगिक बनाता है।

बेकिंग सोडा के रासायनिक गुण

  1. क्षारीयता: बेकिंग सोडा का पीएच स्तर लगभग 8.3 होता है, जो इसे हल्का क्षारीय बनाता है।
  2. तापीय क्षरण: जब इसे गर्म किया जाता है, तो यह कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) गैस उत्सर्जित करता है।
  3. पानी में घुलनशीलता: बेकिंग सोडा पानी में आसानी से घुल जाता है।
  4. एसिड के साथ प्रतिक्रिया: यह एसिड के संपर्क में आने पर झाग उत्पन्न करता है।

बेकिंग सोडा के विभिन्न उपयोग

  1. खाना पकाने में उपयोग
    बेकिंग सोडा एक प्राकृतिक लीवनिंग एजेंट है।
    यह केक, ब्रेड और कुकीज़ में हवा के बुलबुले बनाकर उन्हें फूलने में मदद करता है।
    एसिडिक घटकों जैसे दही, सिरका, या नींबू के साथ मिलाकर इसे एक्टिव किया जाता है।
  2. सफाई में उपयोग
    जले हुए बर्तन साफ करने के लिए उपयोगी।
    फर्श और सिंक की गहराई से सफाई में मदद करता है।
    गंध हटाने के लिए फ्रिज या जूतों में रखा जाता है।
  3. स्वास्थ्य लाभ
    पेट की गैस और एसिडिटी को कम करने के लिए।
    दांतों को सफेद करने के लिए टूथपेस्ट में शामिल।
    त्वचा की जलन को शांत करने के लिए स्नान पानी में मिलाया जाता है।
  4. सौंदर्य में उपयोग
    एक्सफोलिएटर के रूप में स्किन के लिए उपयोगी।
    बालों से अतिरिक्त तेल और गंदगी हटाने के लिए।

बिहार के प्रथम राज्यपाल कौन है

जयराम दास दौलतराम

बिहार के प्रथम राज्यपाल जयराम दास दौलतराम जी हैं |

बिहार की शोक नदी कौन है?

बिहार की “शोक नदी” के नाम से प्रसिद्ध कोसी नदी है।

बिहार की “शोक नदी” के नाम से प्रसिद्ध कोसी नदी है। कोसी नदी को यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि यह प्राचीन काल से ही विनाशकारी बाढ़ और भूमि कटाव का कारण रही है। हर साल इस नदी के कारण बिहार के कई जिलों में बाढ़ आती है, जिससे हजारों लोगों को जान-माल का नुकसान झेलना पड़ता है।

कोसी नदी का परिचय

  1. उत्पत्ति: कोसी नदी हिमालय से निकलती है। इसका उद्गम स्थान नेपाल में है, जहां यह तीन प्रमुख नदियों—अरुण, सुनकोसी, और तमकोसी—के संगम से बनती है।
  2. लंबाई: इसकी कुल लंबाई लगभग 720 किलोमीटर है।
  3. पहुंच: यह नेपाल से होते हुए बिहार में प्रवेश करती है और गंगा नदी में मिल जाती है।
  4. शोक नदी कहे जाने के कारण

कोसी नदी का प्रवाह अत्यधिक अनियमित है।

हर साल मानसून के दौरान यह अपने रास्ते बदलती है और बड़ी बाढ़ लाती है।
बाढ़ के कारण हजारों लोग विस्थापित होते हैं और खेती-बाड़ी का नुकसान होता है।


भूमि कटाव:

कोसी नदी के जल के साथ बहने वाले गाद और मिट्टी के कारण भूमि कटाव होता है।
इससे न केवल खेती योग्य भूमि समाप्त होती है, बल्कि घर और बस्तियां भी डूब जाती हैं।


इतिहास में नुकसान:

कोसी नदी ने अपने मार्ग को बदलते हुए कई बार गांवों और शहरों को बर्बाद किया है।
इसे “भारत की शोक नदी” के रूप में भी जाना जाता है।

कोसी नदी परियोजनाएं

बाढ़ और भूमि कटाव से निपटने के लिए कई सरकारी प्रयास किए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:

कोसी बैराज: नेपाल में कोसी नदी पर बैराज बनाया गया है, ताकि पानी का प्रबंधन किया जा सके।
बांध और नहरें: बिहार में बाढ़ को नियंत्रित करने और सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण किया गया है।

निष्कर्ष

कोसी नदी का प्रभाव बिहार के जीवन पर गहरा है। हालांकि यह विनाशकारी है, लेकिन सिंचाई और कृषि में भी इसका योगदान है। सही प्रबंधन और योजनाओं के माध्यम से इस “शोक नदी” को बिहार के लिए वरदान में बदला जा सकता है।

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