
मदन मोहन मालवीय जयंती
मदन मोहन मालवीय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूतों में से एक थे, जिनका योगदान शिक्षा और सामाजिक सुधार क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण रहा।
मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर, 1861 को हुआ था। उनका जन्म स्थान प्रयाग (अब प्रयागराज) था। उन्होंने अपनी शिक्षा को कानपुर और कोलकाता में पूरा किया और उनकी प्रेरणा स्वामी दयानंद सरस्वती जी से मिली।
भारतीय शिक्षा में योगदान
मालवीय जी ने भारतीय शिक्षा को मोड़ने के लिए काफी प्रयास किए। उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (भू) की स्थापना की, जो एक महत्वपूर्ण शिक्षा संस्थान बन गया।
मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता में काफी सक्रिय थे। 1887 में उन्होंने अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत “हिन्दोस्तान” नामक हिंदी दैनिक समाचार पत्र से की। 1889 में वे “इंडियन ओपिनियन” के संपादक बने। 1907 में उन्होंने स्वयं हिंदी साप्ताहिक पत्रिका “अभ्युदय” की शुरुआत की। 1910 में उन्होंने “मर्यादा” नामक हिंदी समाचार पत्र की शुरुआत की।
राजनीतिक और सामाजिक कार्य
मदन मोहन मालवीय जी ने स्वतंत्रता संग्राम में भी अपना योगदान दिया। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया और समाज में सुधारों की प्रेरणा दी।
विरासत और सम्मान
मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता में काफी सक्रिय थे। 1887 में उन्होंने अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत “हिन्दोस्तान” नामक हिंदी दैनिक समाचार पत्र से की। 1889 में वे “इंडियन ओपिनियन” के संपादक बने। 1907 में उन्होंने स्वयं हिंदी साप्ताहिक पत्रिका “अभ्युदय” की शुरुआत की। 1910 में उन्होंने “मर्यादा” नामक हिंदी समाचार पत्र की शुरुआत की।
मदन मोहन मालवीय जी को अनेक सम्मानों से नवाजा गया। उनका योगदान भारतीय समाज में अटूट प्रभाव छोड़ गया।उन्हें भारत सरकार ने 2015 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया था।
भू आज:- दृष्टिकोण जारी
भू आज मदन मोहन मालवीय की दृष्टियों और सिद्धांतों को आगे बढ़ाते हुए उनके विचारों को निभा रहा है। विश्वविद्यालय में नवाचारों की प्रक्रिया जारी है।
इस प्रकार, मदन मोहन मालवीय एक महान शिक्षाविद और समाज सुधारक थे जिनका योगदान भारतीय समाज के विकास में अविस्मरणीय रहेगा।
उन्होंने 1916 में वाराणसी में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना की थी।
