समाज के प्रति एक नई सोच का विकास | 

मानव भोग के कारण बढ़ता पशु क्रूरता या बदलते बलि प्रथा के स्वरूप |

 पशु क्रूरता या बलि प्रथा दोनों एक ही चीज है जो वर्तमान समय में मानव अपने गलतियों को छुपाने के लिए वर्तमान समय में मानव मांस का सेवन  करता है जो एक प्रकार का बलि प्रथा ही है प्राचीन समय में मानव पशुओं को सरेआम हत्या करता था लेकिन वर्तमान समय में पशुओं को फैक्ट्रीओ में  पशु क्रूरता या बलि प्रथा दोनों में मारकर उनको बाजारों में बेचा जा रहा है इसका मतलब काम वही है बस पर नाम अलग मानव भोग के कारण प्रतिदिन हजारों पशुओं फैक्ट्री में कटती हैं इसके कारण हर एक 8 सेकंड में हजारों पशुओं को फैक्ट्री में काटा जाता है| और और मानव के भोग के कारण प्रतिदिन पेड़ -पौधे भी काटते हैं इसका वजह मांसाहार है मानव अपनी (भोग )भूख को मिटाने के लिए हर एक दिन एक जीव को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ता है जो वर्तमान समय में विश्व संकट बनकर सामने आएगा हम जिस तरह मांसाहार को बढ़ावा दे रहे हैं हमें इसे रोकने की जरूरत है नहीं तो यह एक दिन विश्व संकट बनकर उभरेगा |

सनातन धर्म हो या इस्लाम धर्म या कोई भी धर्म हो मैं सारे धर्म का सम्मान करती हूं लेकिन जो धर्म के नाम पर हो रहा है बलि प्रथा मैं उसे रोकने का प्रयास कर रही हूं उसे ब्लॉक के माध्यम से |

जैसे कि हम जब सुनते हैं सनातन धर्म का त्यौहार हो या इस्लाम धर्म का त्यौहार उसे हर धर्म में उन मासूम जानवरों की क्रूरता से जान ले जाती है और उसे लोग अपने धर्म का मान  कहते हैं यह सब ऐसा नहीं है यह सब धर्म के नाम पर लोग अपने भोग को मिटाते हैं|

यह ब्लॉक भले ही छोटा है पर हम इस ब्लॉक के माध्यम से उन सभी जानवरों को बचा सकते हैं जो हम मानव अपने स्वाद के लिए उनका क्रूरता से हत्या कर देता है 

अगर आप मेरे इस बातो  से सहमत है तो आई साथ मिलकर इस पशु क्रूरता या बलि प्रथा दोनों को कम करने का प्रयास किया जाए|

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