पानीपत की प्रथम युद्ध

पानीपत की प्रथम युद्ध, भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है जो दिल्ली के सुलतान इब्राहीम लोदी और बाबर के बीच 21 अप्रैल 1526  को हुआ था। यह युद्ध दिल्ली सल्तनत के अंत को चिह्नित करता है और भारत में मुघल साम्राज्य की शुरुआत को दर्शाता है।

इस युद्ध की मुख्य कहानी यह है कि सुलतान इब्राहीम लोदी ने दिल्ली के सुलतान बनने के बाद अपने विरोधी, शासक राणा साङा के साथ मिलकर लोदी द्वारा बहलोल लोदी के खिलाफ की जा रही आंधी बचाने के लिए एक बड़ी सेना बनाई। इसके बाद, इब्राहीम लोदी और बाबर की सेनाएं पानीपत के क्षेत्र में टकराईं।

पानीपत की पहली युद्ध में मुघल सम्राट बाबर ने अपनी छोटी सेना के बावजूद बड़ी सेना के खिलाफ एक बड़ी जीत हासिल की। इस युद्ध में बाबर की सेना में तकरीबन 20,000 से ज्यादा सैनिक थे, जबकि इब्राहीम लोदी की सेना में अधिक संख्या में सैनिक थे, लेकिन उनके सैन्य अधिक ताकतवर और युद्धक्षेत्र का अच्छा ज्ञान रखने के बावजूद, बाबर की योजना और समर्थन के कारण मुघलों की जीत हुई।

पानीपत की प्रथम युद्ध ने भारतीय इतिहास में मुघल साम्राज्य की नींव रखी और बाबर की सेना ने दिल्ली सल्तनत को समाप्त करते हुए अपना स्थान स्थापित किया।

21 अप्रैल 1526 को पानीपत के क्षेत्र में हुई इस युद्ध में मुघल साम्राज्य के पक्ष पर बाबर की छोटी सेना ने भी बड़ी सेना के खिलाफ युद्ध किया। इस युद्ध में बाबर की योजना, तकनीक, और उनके सैनिकों का साहस ने इब्राहीम लोदी की बड़ी सेना को हराया। इस प्रकार, पानीपत की प्रथम युद्ध में बाबर ने दिल्ली को जीतकर मुघल साम्राज्य की नींव रखी।

यह युद्ध भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि इससे मुघल साम्राज्य का आरंभ हुआ और दिल्ली सल्तनत का अंत हुआ। बाबर की विजय ने भारत में मुघल शासन की शुरुआत की, जिसने भारतीय इतिहास को बड़े परिवर्तन का साक्षात्कार कराया।

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