“ प्रांजल पाटिल” भारत की पहली नेत्रहीन IAS महिला | जीवनी in Hindi

नाम (Real Name)प्रांजल पाटिल
जन्म (Date of Birth)1 April 1988 (शुक्रवार)
पिता का नाम (Father Name)लहेन सिंह बी पाटिल
माता का नाम (Mother Name)ज्योति पाटिल
पति का नाम (Husband Name)कोमल सिंह पाटिल
आयु (Age)36  वर्ष (2024  तक)
पेशा (Occupation )भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS)
Rank124
Current Postingतिरुवनंतपुरम
धर्म (Religionहिन्दू

 ‘प्रांजल पाटिल ’भारत की पहली नेत्रहीन IAS महिला हैं| वह आज हमारे समाज के लिए प्रोत्साहन के पात्र है उन्होंने नेत्रहीन होने के बावजूद भी अपने सपने को कभी नहीं छोड़ा लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी फिर तैयारी की और उसके बाद देश की सबसे मुश्किल परीक्षा को पास करने का लक्ष्य बनाया यूपीएससी जी हां करने में प्रांजल पाटिल सालों से लगी रही उसे पता था कि वह देख नहीं ताकत बनाया और सॉफ्टवेयर की मदद से बनी भारत की पहली  नेत्रहीन आईएएस अधिकारी  इस ब्रांच सॉफ्टवेयर की मदद से बनी भारत की पहली नेत्रहीन आईएएस अधिकारी इस प्रांजल पाटिल अगर आप सोचते हैं कि इन्हें यह नौकरी किसी दया पर मिली है तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है दोस्तों प्रांजल मेहनत करने से नहीं घबराती है इनके अंदर कुछ कर गुजरने की हिम्मत है इस परीक्षा धैर्य के साथ पॉजिटिविटी और कभी हार ना मानने वाली क्वालिटी जो चाहिए होती है वह सब चीज एक प्रांजल पाटिल में है तभी तो देश की पहली नेत्र हैं इस अधिकारी बनी महाराष्ट्र के उल्हासनगर की रहने वाली प्रांजल जन्म से ही कमजोरआंखों के साथ जन्मी थी |

 प्रांजल पाटिल आंखों की रौशनी कैसे गई ?

वो जब 6 साल की तो तभी स्कूल में एक बच्चे ने उनकी आंखों पर पेंसिल मार दी उनकी एक आँख खराब हो गई लेकिन कुछ दिनों बाद डोक्टर ने  बताया उनकी दूसरी आँख की भी रौशनी भी जा सकती हैं जिससे उनकी दूसरी आँखों  की भी रोशनी जा सकती है प्रांजल की दोनों आंखों की रोशनी चली गई |

लेकिन सब में उनके परिवार ने धैर्य बनाए रखा उनकी पढ़ाई नहीं रुकी प्रांजल ने अपनी स्कूली मुंबई के KAMLA MEHTA DADAR SCHOOL FOR THE BLIND से पूरी की जिसमें उन्होंने राजनीतिक विज्ञान में ST XAVIER COLLEGE से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की प्रांजल अभी और पढ़ना चाहती थी इसलिए उन्होंने इसके बाद दिल्ली की  JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY NEW DELHI(जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय )इंटरनेशनल रिलेशंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया और फिर PHD के लीये चली गई |

प्रांजल पाटिल जीवन की चुनैतिया |

चाहे बात परीक्षा की तैयारी की हो या परीक्षा लिखने के लिए किसी भरोसेमंद व्यक्ति की, पाटिल जी को हर बार चुनौती आयी. परंतु वे हाथ-पर-हाथ रखकर बैठ ना गयी और चुनौती-रूपी सीढ़ी पर ही चढ़कर अपनी मंजिल अपने मुकाम तक पहुँची. पाटिल जी दिव्यांग होते हुए भी दिव्यांग ना थी. जब तक आप मानसिक रूप से हार ना मान ले दुनिया की कोई भी ताकत आपको नहीं हरा सकती. पाटिल जी ने एकदम सही कहा है की चुनौतियों से घबराना नहीं चाहिए. धैर्य रखना ही सबसे बड़ी परीक्षा है. 

प्रांजल पाटिल सेवा परीक्षा की तैयारी |

 सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए कभी कोचिंग का सहारा नहीं लिया उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान एक विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था जो किताबों को जोड़ -जोड़ से पढ़ता था  दो बार यूपीएससी की परीक्षा दी | एक बार साल 2016 में और दूसरी बार साल 2017 में साल 2016 में उनकी रैंक 744 थी लेकिन अपनी दूसरे अटेम्प्ट में उन्होंने 124वीं रैंक हासिल की 2018 में प्रांजल को एर्नाकुलम में केरल में सहायक कलेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया आज अपने उससे बड़ी सेवा में है सेवा में नौकरी देने से इसलिए मना कर दिया गया क्योंकि उन्हें दिखाई नहीं देता था इस आधार पर भारतीय रेलवे लेखा सेवा में नौकरी देने से इसलिए मना कर दिया गया प्रांजल कहती  है कि उन्होंने कभी खुद को कमजोर नहीं समझा और अपनी मेहनत से परीक्षा को पास किया दोस्तों ऐसी महिलाएं हमारे समाज में सभी के लिए इंस्पिरेशन है|

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