भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, अपने व्यापक और विस्तृत संविधान के साथ गर्व से खड़ा है। भारतीय संविधान, जो 25 भागों और 12 अनुसूचियों में विभाजित 448 अनुच्छेदों को समेटे हुए है, अपनी विशिष्टता और व्यापकता के लिए जाना जाता है। इसके निर्माण की कहानी भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
1934 में, भारत के लिए एक संविधान सभा गठित करने का विचार पहली बार भारतीय साम्यवादी (कम्युनिस्ट) आंदोलन के प्रमुख नेता श्री एम.एन. रॉय द्वारा प्रस्तावित किया गया था। हालांकि, यह विचार तब और अधिक मजबूती से उभरा जब 1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने संविधान सभा की स्थापना की पुरजोर वकालत की। इस मांग को प्रारंभ में ब्रिटिश सरकार द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था, लेकिन 1940 में इसे स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद, सर स्टैफोर्ड क्रिप्स को एक मसौदा प्रस्ताव के साथ भारत भेजा गया, लेकिन इसे मुस्लिम लीग ने अस्वीकार कर दिया। अंततः, कैबिनेट मिशन योजना के तहत संविधान सभा की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ और भारतीय संविधान के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसने इतिहास रच दिया।
स्वतंत्र भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को स्थापित करने वाले इस सर्वोच्च कानून का मसौदा भारतीय संविधान सभा द्वारा तैयार किया गया। संविधान निर्माण की इस ऐतिहासिक जिम्मेदारी को पूरा करने में संविधान सभा को दो वर्ष, ग्यारह माह और अठारह दिन का समय लगा। इस अवधि के दौरान, सभा ने कुल 165 दिनों के ग्यारह सत्र आयोजित किए, जिनमें से 114 दिन केवल मसौदा संविधान पर विचार-विमर्श में व्यतीत हुए। अंततः, 26 नवंबर 1949 को संविधान को औपचारिक रूप से अंगीकार किया गया, और इसे 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया, जिसे आज हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
भारतीय संविधान को सभी कानूनों की जननी कहा जाता है, क्योंकि यह न केवल भारत के शासनतंत्र की रूपरेखा तय करता है, बल्कि नागरिकों के अधिकारों, कर्तव्यों और सरकार की शक्तियों को भी स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। यह लेख उन सभी महत्वपूर्ण घटनाओं और ऐतिहासिक पहलुओं पर प्रकाश डालता है, जिन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण की नींव रखी और इसे दुनिया का सबसे विस्तृत और समावेशी संविधान बनाया।

संविधान सभा का गठन
1946 में भारतीय संविधान सभा का गठन हुआ, जिसमें 299 सदस्य थे। इस सभा की अध्यक्षता डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने की और मसौदा समिति का नेतृत्व डॉ. भीमराव अंबेडकर ने किया।
संविधान की प्रस्तावना:-

संविधान की प्रस्तावना का मूल पाठ:-
"हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय; विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता; प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त कराने के लिए; तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।"
संविधान की प्रस्तावना के प्रमुख तत्व:–
- संप्रभुता (Sovereignty): भारत किसी अन्य देश के अधीन नहीं है और पूर्णतः स्वतंत्र राष्ट्र है।
- समाजवाद (Socialism): संविधान समाजवादी विचारधारा को अपनाता है, जिससे आर्थिक और सामाजिक समानता सुनिश्चित हो।
- धर्मनिरपेक्षता (Secularism): भारत में कोई राजकीय धर्म नहीं है, और सभी धर्मों को समान सम्मान दिया जाता है।
- लोकतंत्र (Democracy): भारत में जनता द्वारा, जनता के लिए और जनता का शासन है।
- गणराज्य (Republic): भारत का प्रमुख नेता (राष्ट्रपति) वंशानुगत न होकर निर्वाचित होता है।
- न्याय (Justice): नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्राप्त होता है।
- स्वतंत्रता (Liberty): नागरिकों को विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्राप्त है।
- समानता (Equality): सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समान अधिकार प्राप्त हैं।
- बंधुत्व (Fraternity): समाज में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता तथा अखंडता को बनाए रखना।
भारतीय संविधान के भाग और उनसे संबंधित अनुच्छेद निम्नलिखित हैं |
भारतीय संविधान के भाग और उनसे संबंधित अनुच्छेद | ||
भाग | क्षेत्र | अनुच्छेद |
भाग I : | संघ और उसका क्षेत्र | अनुच्छेद 1 से 4 |
भाग II : | नागरिकता | अनुच्छेद 5 से 11 |
भाग III : | मौलिक अधिकार | अनुच्छेद 12 से 35 |
भाग IV : | राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत | अनुच्छेद 36 से 51 |
भाग V : | संघभाग | अनुच्छेद 52 से 151 |
भाग VI : | राज्य | अनुच्छेद 152 से 237 |
भाग VII : | पहली अनुसूची के | भाग B में राज्य |
भाग VIII : | केंद्र शासित प्रदेश | अनुच्छेद 239 से 242 |
भाग IX : | पंचायतें | अनुच्छेद 243 से 243(O) |
भाग IX(A) | नगर पालिकाएँ | अनुच्छेद 243(P) से 243(ZQ) |
भाग IX(B) | सहकारी समितियाँ | अनुच्छेद 243(ZH) |
भाग X : | अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्र | अनुच्छेद 244 से 244A |
भाग XI : | संघ और राज्यों के बीच संबंध | अनुच्छेद 244 से 263 |
भाग XII : | वित्त, संपत्ति, अनुबंध और वाद | अनुच्छेद 264 से 300A |
भाग XIII : | भारत के क्षेत्र के भीतर व्यापार, वाणिज्य और समागम | अनुच्छेद 301 से 307 |
भाग XIV : | संघ और राज्यों के अधीन सेवाएँ | अनुच्छेद 308 से 323 |
भागXIV(A) : | न्यायाधिकरण | अनुच्छेद 323A से 323B |
भाग XV : | चुनाव | अनुच्छेद 324 से 329 |
भाग XVI : | कुछ वर्गों से संबंधित विशेष प्रावधान | अनुच्छेद 330 से 342 |
भाग XVII : | राजभाषा | अनुच्छेद 343 से 351 |
भाग XVIII : | आपातकालीन प्रावधान | अनुच्छेद 352 से 360 |
भाग XIX : | विविध | अनुच्छेद 361 से 367 |
भाग XX : | संविधान का संशोधन | अनुच्छेद 368 से 378 |
भाग XXI : | अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान | अनुच्छेद 379 से 392 |
भाग XXII : | संक्षिप्त शीर्षक, प्रारंभ, हिंदी में आधिकारिक पाठ और निरसन | अनुच्छेद 393 से 394 |
निष्कर्ष
भारतीय संविधान देश की एकता, अखंडता और लोकतंत्र का आधार है। यह नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है और एक न्यायसंगत समाज की स्थापना करता है।
(FAQs)
1. भारतीय संविधान कब लागू हुआ था?
भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था।
2. भारतीय संविधान के निर्माता कौन थे?
डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे और उन्हें संविधान का प्रमुख निर्माता माना जाता है।
3. भारतीय संविधान में कितने अनुच्छेद और अनुसूचियाँ हैं?
वर्तमान में भारतीय संविधान में 470 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियाँ हैं।
4. मौलिक अधिकार क्या होते हैं?
मौलिक अधिकार नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए अधिकार हैं, जैसे कि स्वतंत्रता, समानता और शिक्षा का अधिकार।
5. संविधान दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 1949 में संविधान को अंगीकार किया गया था।